भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान और तिब्बत में आए भूकंपों की श्रृंखला ने भारत में संभावित बड़े भूकंप की चिंता को जन्म दिया है, क्योंकि भारत इसके लिए पूरी तरह से तैयार नहीं है. देश का लगभग 59% हिस्सा खतरे में है, खासकर घनी आबादी वाले शहरों में.
पाकिस्तान और तिब्बत में पिछले चार से पांच घंटों में भूकंप के कई झटके महसूस किए गए हैं,और यह जो पिछले एक सप्ताह में प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने वाले देशों की सूची में शामिल हो गए हैं. भूकंप की बात करे तो पाकिस्तान और तिब्बत के अलावा, म्यांमार में शुक्रवार, 28 मार्च को 7.2 तीव्रता का भूकंप आया, और इस विनाशकारी भूकंप की वजह से 2,700 से ज़्यादा लोगों की जान चली गई. कई लोग अभी भी लापता है. हांलाकि ,पड़ोसी देशों में हाल ही में आई आपदाओं ने भारत में भूकंप को लेकर चिंताएँ बढ़ा दी हैं.
भारत में भूकंप की संभावना
समाचार पोर्टल इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में बड़े भूकंप आने की संभावना है, और इसका प्रभाव म्यांमार से भी ज्यादा हो सकता है, और यह भूकंप विशेषकर दिल्ली या गुवाहाटी जैसे घनी आबादी वाले शहरों पर काफी असर कर सकता है.
भारत में भूकंप का कारण
समाचार पोर्टल इंडिया टुडे की रिपोर्ट में 8 से अधिक तीव्रता वाले विनाशकारी “ग्रेट हिमालयन भूकंप” की चेतावनी दी गई है. भारतीय प्लेट पूर्वोत्तर भारत में सुंडा और बर्मा प्लेटों के नीचे धंस रही है, जिसके परिणामस्वरूप शक्तिशाली भूकंप और सुनामी आ सकती है. इसके अलावा, मध्य और प्रायद्वीपीय भारत में दुर्लभ और घातक इंट्राप्लेट भूकंप आ सकते हैं. हालाँकि, भारत प्रत्याशित भूकंप के लिए काफी हद तक तैयार नहीं है.
भारत में उच्च जोखिम वाले राज्य
रिपोर्ट के अनुसार, भारत का लगभग 59% हिस्सा भूकंप के खतरे में है. रिपोर्ट में कहा गया है कि हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड , बिहार और पूर्वोत्तर राज्यों जैसे राज्यों में सबसे ज़्यादा भूकंप का जोखिम हो सकता है, जबकि दिल्ली, मुंबई और कोलकाता जैसे शहर खतरनाक भूकंपीय क्षेत्रों में हैं. भारत में भूकंप की चिंता इसलिए भी है क्योंकि इमारतों में भूकंप से बचाव के लिए उचित व्यवस्था नहीं है. यह भूकंप 8 से अधिक तीव्रता वाला हो सकता है , जिसकी वजह से भूकंप के दौरान इमारतों के गिरने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे प्राकृतिक आपदा से ज़्यादा लोगों की मौत हो जाती है.
भूकंप से नुकसान
पिछले बीस सालों में भारत को भूकंप के कारण लगभग 79.5 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है. रिपोर्ट में कहा गया है कि गुजरात में 2001 में आए भुज भूकंप से लगभग 10 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ, जबकि 2015 उत्तर भारत में आए नेपाल भूकंप से भी 7 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ था.
हिमालयी क्षेत्र में भूकंप
हिमालय क्षेत्र में शक्तिशाली भूकंप आने की संभावना रहती है. रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 50 वर्षों में, इस क्षेत्र में 8.0 से अधिक तीव्रता वाले चार विनाशकारी भूकंप आए हैं, जिनमें पहला 1987 का शिलांग भूकंप 8.7तीव्रता, दूसरा 1905 का कांगड़ा भूकंप 8.0तीव्रता, तीसरा 1934 का बिहार-नेपाल भूकंप 8.3तीव्रता और चौथा 1950 का असम-तिब्बत भूकंप 8.6तीव्रता के भूकंप शामिल हैं.