भारतीय शेयर बाजार में आज 10 फरवरी 2025 सोमवार को लगातार चौथे सत्र में बिकवाली का दबाव रहा,जिसमे सेंसेक्स 600 अंक गिरकर 77,189.04 पर आ गया. और निफ्टी 50 लगभग 200 अंक गिरकर 23,357.60 पर आ गया.
भारतीय शेयर बाजार में 10 फरवरी 2025 को लगातार चार सत्रों से बिकवाली का दबाव रहा है. जिसमे बेंचमार्क सेंसेक्स 600 अंक से अधिक गिर गया है. और निफ़्टी 50 इंट्राडे सत्र में 23,350 के करीब पहुंच गया.
सेंसेक्स बेंचमार्क अपने पिछले बंद स्तर 77,860.19 के मुकाबले 77,789.30 पर खुला और 671 अंक गिरकर 77,189.04 के स्तर पर आ गया. जब की निफ़्टी 50 अपने पिछले बंद स्तर 23,559.95 के मुकाबले 23,543.80 पर खुला और 200 अंक या 0.90 प्रतिशत गिरकर 23,357.60 के स्तर पर आ गया.
शेयर बाजार के सभी खंडो में बिकवाली व्यापक रूप से थी,और मिडकैप और स्मॉलकैप खंडों में तो यह और भी अधिक गंभीर थी, क्योकि बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में 2 प्रतिशत तक की गिरावट आई.
बीएसई में सूचीबद्ध शेयरों का कुल बाजार पूंजीकरण (एम-कैप) पिछले सत्र के लगभग 424 लाख करोड़ रुपये से घटकर लगभग 419 लाख करोड़ रुपये रह गया,जिसकी वजह से निवेशको को एक सत्र में लगभग 5 करोड़ रूपये का नुकसान हुआ है.
आज के शेयर बाजार में सुबह 10:45 बजे सेंसेक्स 572 अंक या 0.73 फीसदी की गिरावट के साथ 77,289 पर था,जब की निफ्टी 50 177 अंक या 0.75 फीसदी की गिरावट के साथ 23,383 पर कारोबार कर रहा था.
भारतीय शेयर बाजार में गिरावट के मुख्य कारण
शेयर बाजार एक्सपर्ट ने निम्नलिखित पांच कारकों की ओर इशारा किया है जो बाजार में बिकवाली के पीछे हो सकते हैं
1. ट्रम्प का टैरिफ
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अपनी टैरिफ नीतियों के कारण बाजार की धारणा को झटका दे रहे हैं. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक ,डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा की , वह मौजूदा धातु शुल्कों के अलावा,सोमवार 10 फरवरी को अमेरिका में सभी स्टील और एल्युमीनियम आयातों पर नए 25 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा करेंगे. इस रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि वह अगले सप्ताह सोमवार या मंगलवार तक कई देशों पर पारस्परिक टैरिफ की घोषणा करने की योजना बना रहे हैं.
2. कमज़ोर आय से धारणा पर असर जारी
भारतीय शेयर बाजार में पिछले 4 सत्र से दर्ज की गई गिरावट के पीछे कमजोर कॉर्पोरेट आय एक प्रमुख कारक बनी हुई है. माना की तीसरी तिमाही की आय पिछली दो तिमाहियों की तुलना में थोड़ी बेहतर रही हो,लेकिन इस बार यह बाजार की धारणा को बढ़ावा देने में विफल रही है.
3. निरंतर विदेशी पूंजी का बहिर्गमन
पिछले साल अक्टूबर से भारतीय शेयर बाजार में भारी विदेशी पुंजी निकास दर्ज की गई है. 7 फरवरी तक विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने भारतीय शेयरों से 10,000 करोड़ रूपये से ज्यादा की निकासी की है. अक्टूबर से लेके आज तक एफआईआई ने कुल मिलाकर लगभग 2.75 लाख करोड़ रूपये मूल्य के भारतीय शेयर बेचे हैं.
मेहता इक्विटीज के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रशांत तापसे ने कहा, “एफआईआई द्वारा की गई बिकवाली शायद हालिया बाजार गिरावट का सबसे बड़ा कारण है. और वे बिकवाली जारी रखे हुए हैं, ऊपर से अमेरिकी टैरिफ नीतियों को लेकर चिंता से धारणा पर और असर पड़ रहा है.”
4. सुधार के बावजूद मूल्यांकन बढ़ा
पिछले साल 27 सितंबर को 85,978.25 के अपने सर्वकालिक उच्च स्तर से सेंसेक्स में 9 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है. हालांकि, इस गिरावट के बावजूद भी , बाजार का मूल्यांकन उच्च बना हुआ है, जिससे निवेशक सतर्क है.
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा, की “यह समझना महत्वपूर्ण है कि भारत में ख़ास करके व्यापक बाजार में मूल्यांकन लगातार उच्च स्तर पर बना हुआ है. भारतीय शेयर बाजार को जीडीपी वृद्धि और आय में उछाल जैसे बुनियादी ट्रिगर्स की जरूरत है. तब तक बाजार के एक दायरे में ही चलने की संभावना है. इस दौरान निवेशकों को उचित मूल्य वाले उच्च गुणवत्ता वाले लार्ज-कैप शेयरों में ही निवेश करना चाहिए.”
मूल्यांकन गुरु अश्वथ दामोदरन का मानना है कि भारतीय शेयर बाजार दुनिया का सबसे महंगा इक्विटी बाजार है, और किसी भी तरह से इसके मूल्यांकन को उचित नहीं ठहराया जा सकता.
5. रुपए की कमजोरी
सोमवार 10 फरवरी के दिन भारतीय रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर खुला. शुक्रवार को 87.43 डॉलर प्रति डॉलर पर बंद होने के मुकाबले रुपया 49 पैसे गिरकर 87.92 डॉलर प्रति डॉलर पर खुला. इस साल घरेलू मुद्रा में लगभग 3 प्रतिशत दर्ज की गई है,जिसकी वजह से बाजार की धारणा प्रभावित हुई है.
कमजोर रुपया आर्थिक कमजोरी का संकेत देता है और विदेशी पूंजी का बहिर्गमन तेज करता है, जिससे बाजार की धारणा और अधिक खराब हो जाती है.