प्रधानमंत्री मोदी ने महाकुंभ के समापन के साथ ही इसकी एकजुटता की शक्ति पर विचार किया, लाखों लोगों की भागीदारी की प्रशंसा की और इसे भारत की समृद्ध विरासत और संस्कृति का प्रतीक बताया. उन्होंने नदियों की स्वच्छता और भविष्य की पीढ़ियों के लिए इस आयोजन की विरासत के महत्व पर जोर दिया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार 27 फरवरी को महाकुंभ 2025 के 45 दिवसीय समापन पर कहा कि महाकुंभ में समाज का हर वर्ग एकजुट हुआ, जो अविस्मरणीय ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ को दर्शाता है. 45 दिवसीय धार्मिक समागम, महाकुंभ 2025, महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर संपन्न हो गया, फिर भी श्रद्धालु पवित्र स्नान के लिए प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर पहुंचना जारी रखते हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने महाकुंभ के बारे में क्या कहा?
पीएम मोदी ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा, “मुझे पता है कि इतना बड़ा आयोजन आसान नहीं था. मैं मां गंगा… मां यमुना… मां सरस्वती से प्रार्थना करता हूं… हे मां, अगर हमारी पूजा में कोई कमी रह गई हो तो कृपया हमें माफ कर दें. जनता जो मेरे लिए भगवान का रूप है, अगर भक्तों की सेवा में कोई कमी रह गई हो तो मैं जनता से भी क्षमा मांगता हूं.”
पीएम नरेंद्र मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “महाकुंभ का समापन हो चुका है…एकता का महायज्ञ संपन्न हो चुका है. उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में एकता के महाकुंभ में 45 दिनों तक जिस तरह 140 करोड़ देशवासियों की आस्था एक साथ आई, एक समय में, एक उत्सव में शामिल हुई, वो अभिभूत करने वाला है. महाकुंभ के समापन के बाद मेरे मन में जो विचार आए, उन्हें मैंने कलमबद्ध करने का प्रयास किया है.”
ब्लॉग में प्रधानमंत्री मोदी ने इस घटना को राष्ट्र की चेतना का प्रतीकात्मक जागरण बताया, जो सदियों की गुलामी के अंत और एक नए युग के उदय का प्रतीक है. प्रधान मंत्री नरेंद्रमोदी ने कहा की , महाकुंभ में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं की भारी संख्या न केवल एक रिकॉर्ड है, बल्कि इसने “हमारी संस्कृति और विरासत को मजबूत और समृद्ध बनाए रखने के लिए कई शताब्दियों तक एक मजबूत आधारशिला भी रखी है.”
उत्तरप्रदेश के प्रयागराज महाकुंभ मेले के प्रबंधन की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “आज प्रयागराज का महाकुंभ प्रबंधन पेशेवरों के साथ-साथ दुनिया भर के योजना और नीति विशेषज्ञों के लिए शोध का विषय बन गया है.” प्रधानमंत्री ने कहा कि महाकुंभ मेले का यह त्योहार हमें एकता और सद्भाव की प्रेरणा देता है.
उन्होंने कहा, “आज अपनी विरासत पर गर्व करने वाला भारत नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहा है. ये युग परिवर्तन की आहट है, जो देश का नया भविष्य लिखने जा रही है.” प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात का स्वागत किया कि इस कार्यक्रम में युवाओं की भारी भागीदारी थी और इससे यह पता चलता है कि युवा भारत के मूल्यों और संस्कृति को आगे ले जाएंगे.
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा की समाज के हर वर्ग, हर क्षेत्र के लोग इस महाकुंभ में एकजुट हुए. एक भारत श्रेष्ठ भारत का ये अविस्मरणीय दृश्य करोड़ों देशवासियों के आत्मविश्वास का महापर्व बन गया.
प्रधानमंत्री ने नदियों की स्वच्छता पर कहा, “गंगा और यमुना जैसी हमारी नदियों की स्वच्छता हमारी जीवन यात्रा से जुड़ी हुई है. यह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम हर नदी को, चाहे वह छोटी हो या बड़ी, जीवनदायिनी मां के रूप में मनाएं और अपनी सुविधानुसार नदी उत्सव मनाएं. इस भव्य महाकुंभ ने हमें अपनी नदियों को निरंतर स्वच्छ रखने और इस आंदोलन को मजबूत करने की प्रेरणा दी है.”
उन्होंने बताया की महाकुंभ मेले की शुरुआत 13 जनवरी को हुई थी और उसका समापन 26 फरवरी महाशिवरात्रि के अंत स्नान पर हुआ. इस दौरान महाकुंभ के पवित्र त्रिवेणी संगम में 66 करोड़ 21 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई.
पौष पूर्णिमा यानि की 13 जनवरी पर पहले अमृत स्नान हुआ था उसके बाद 26 फरवरी को महाकुंभ का आधिकारिक समापन हो गया. इसी समय के बिच अन्य महत्वपूर्ण स्नान दिनों में मकर संक्रांति 14 जनवरी, मौनी अमावस्या 29 जनवरी, बसंत पंचमी 3 फरवरी, और माघी पूर्णिमा 12 फरवरी शामिल हैं.