Arakan Army: बांग्लादेश म्यांमार के साथ 271 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा साझा करता है जिसपर अब म्यांमार के विरोधी गुट अराकान आर्मी का कब्जा हो गया है फिलहाल म्यांमार बॉर्डर पर अब तनाव काफी ज्यादा बढ़ गया है बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद अब पड़ोसी देश काफी उलझनों का सामना करते हुए दिखाई दे रहा है
सबसे दिल दहला देने वाली बात यह है कि बांग्लादेश ने भारत के साथ भी अपने संबंध काफी हद तक बिगाड़ लिए तख्तापलट के बाद से ही बांग्लादेश लगातार भारत पर हमला करते हुए दिखाई दे रहा है बांग्लादेश में लगातार हिंदू मंदिरों को तोड़ा जा रहा है और हिंदुओं के साथ मारपीट की घटनाएं भी काफी हद तक देखने को मिल रही है
हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर यूनुस सरकार की तरफ से कोई खास बयान भी सामने नहीं आ रहा है इस वजह से बांग्लादेश भारत के बीच आक्रोश अब काफी ज्यादा बढ़ चुका है यहाँ तक कि बांग्लादेश 16 दिसंबर 1971 को इंडियन आर्मी द्वारा दिए गए बलिदान तक को भूल चुका है बता दें साल 1971 को बांग्लादेश को पाकिस्तान के कब्जे से छुड़ाने के लिए इंडियन आर्मी ने पाकिस्तान के 93,000 सैनिकों को हथियार डालने पर मजबूर किया था हालांकि वर्तमान बांग्लादेश इस बात को मानने से इनकार कर रहा है
लेकिन इस साई यही पर समाप्त नहीं होने वाला है अब बांग्लादेश के सामने एक और नई मुसीबत सामने आते दिखाई दे रही है जहाँ पर म्यांमार के विरोधी घुटन के 30,000 सैनिकों ने बांग्लादेश और म्यांमार से सटी 200 फुट तक किलोमीटर लंबी सीमा रेखा पर कब्जा कर लिया है
कौन है Arakan Army और बांग्लादेश में क्या कर रही है?
फरवरी 2021 म्यांमार देश में सेना द्वारा हुए सरकारी तख्तापलट के बाद वहाँ पर कई पक्ष और विपक्षी गुटों का समूह बना जिसमें से एक को हम अराकन सेना के नाम से जानते हैं फराह खान आर्मी राखिन राज्य के बोध राखिम जातीय समूह की सैन्य शाखा है एसएम तख्तापलट के खिलाफ़ हालांकि सेना ने उस समय हथियार नहीं उठाए लेकिन बाद में दामों ने म्यांमार की केंद्रीय सरकार से अलग कर एक स्वतंत्र प्रशासन बनाने की मांग की सैन्य शाखा का कहना था कि उन्हें म्यांमार के सेंटर से छुटकारा चाहिए और अपनी एक अलग पहचान और निर्मित करने के लिए बंटवारा चाहिए आम तौर पर यह सेना म्यांमार के उत्तरी हिस्से में ज्यादा एक्टिव थीं जाफर रोहिंग्या मुस्लिम आबादी की संख्या ज़्यादा
म्यांमार बांग्लादेश से आए रोहिंग्या मुसलमानों को घुसपैठिये के रूप में चिन्हित किया जाता है इस वजह से बर्मी सरकार का कहना था कि *** कान आर्मी बी इन्हीं कुछ पेटियों में शामिल हैं इस वजह से उन्हें भी घुसपैठियों के रूप में चिन्हित कर दिया गया और उन्हें म्यांमार में मिलने वाली सभी सेवाओं से भी वंचित कर दिया गया बताया जाता है कि अराकान आर्मी को म्यांमार ने एक विद्रोही ग्रुप और टेररिस्ट के तौर पर देखा जाता है हालांकि अराकान आर्मी का कहना है कि वह सिर्फ बुद्ध मेजोरिटी द्वारा हो रहे हत्यारों के खिलाफ़ हथियार उठा रहे हैं अराकान आर्मी का कहना है कि वे मुख्य रूप से म्यांमार के ही रहने वाले लोग साल 2023 में अराकान आर्मी ने म्यांमार दोनों ही दलों के साथ मिलकर बड़े पैमाने पर आक्रमण शुरू किया जिसका असर ये हुआ कि रखाइन और चीनी स्टेट के प्रमुख सैन्य ठिकानों पर अराकान आर्मी ने कब्जा कर लिया अब तक रखाइन स्टेट के 80 फीसदी से ज्यादा हिस्से पर अराकान आर्मी का कब्जा है