पूर्व इंफोसिस सीएफओ मोहनदास पई ने बजट 2025 के दौरान आयकर स्लैब की जटिलता की आलोचना की और मध्यम वर्ग के लिए कम दरों का आग्रह किया. उन्होंने बढ़ती ईएमआई और शिक्षा लागत से होने वाले वित्तीय तनाव पर प्रकाश डाला और परिवारों पर बोझ कम करने के लिए सरकारी सुधारों की मांग की.
इंफोसिस के पूर्व सीएफओ टीवी मोहनदास पई ने बढ़ती महंगाई, बढ़ती ईएमआई और बढ़ती शिक्षा लागत के कारण मध्यम वर्ग पर बढ़ते बोझ को उजागर किया. मोहनदास पई ने देश के लिए आवश्यक प्रमुख सुधारों की एक रूपरेखा तैयार की. पई ने कहा, “मध्यम वर्ग उच्च करों और जीवन की खराब गुणवत्ता से बहुत नाराज़ और परेशान है,” उन्होंने केंद्रीय बजट 2025 में आयकर राहत की मांग की.
इंफोसिस के पूर्व सीएफओ टीवी मोहनदास पई ने मध्यम वर्गीय परिवारों पर पड़ने वाले बोझ पर चिंता व्यक्त की ,जिसमे खास करके बढ़ती ईएमआई स्कूल और कॉलेज की फीस में पिछले तीन वर्षों में 40-60% की वृद्धि, लेकिन आय स्थिर बनी हुई है.
मोहनदास पई के मुताबिक ,मध्यम वर्गीय परिवार कई कारणों से बढ़ते वित्तीय तनाव का सामना कर रहा है. जिसमे देखा जाए तो EMI में काफी ज्यादा वृद्धि हुई है, लगभग 1.2 करोड़ लोगों के पास आवास ऋण है और अतिरिक्त 1.5 करोड़ व्यक्ति अन्य प्रकार के ऋणों का प्रबंधन कर रहे हैं. नतीजतन, वे बहुत अधिक EMI का भुगतान कर रहे हैं, जबकि उनकी आय उसी दर से नहीं बढ़ी है. मुद्रास्फीति भी उनके बोझ को बढ़ा रही है.
मोहनदास पई ने एक अन्य प्राथमिक चिंता के बारे में बताया की ” स्कूल और कॉलेज की फीस में तेज वृद्धि है, जो पिछले तीन वर्षों में 40-60% बढ़ी है,दो बच्चों वाले मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए, कर-पश्चात आय से अधिक फीस का भुगतान करना उन्हें गहरी वित्तीय परेशानी में डाल देता है. और इसके परिणाम के रूप में कई मध्यम वर्गीय परिवार संघर्ष कर रहे हैं, उनके पास बहुत कम खर्च करने योग्य आय बची है, और वे स्वाभाविक रूप से नाराज़ और परेशान हैं.”
मोहनदास पई ने मध्यम वर्ग के परिवार को बेहतर समर्थन देने के लिए सरकार की प्राथमिकताओं में बदलाव का आह्वान किया है. मध्यम वर्ग ने ऐतिहासिक रूप से मौजूदा सरकार का समर्थन किया है, लेकिन वह उपेक्षित और बोझिल महसूस करता है.
“मुझे लगता है कि वे बहुत नाराज़ और परेशान हैं, जिसे मैं ‘कर आतंकवाद’ कहता हूँ. हमें कर स्लैब पर फिर से एक बार विचार करने की ज़रूरत है . पी. चिदंबरम ने तीन स्लैब पेश किए, और अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे बढ़ाकर सात कर दिया है. और फिर हमारे पास यह हास्यास्पद पॉपकॉर्न टैक्स है – याद रखें, तीन अलग-अलग प्रकार के पॉपकॉर्न पर अलग-अलग कर लगाया जाता है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह समझाने में बहुत समय बिताया कि यह क्यों ज़रूरी था, लेकिन मेरे मुताबिक यह बेतुका है. सबसे बड़ा मुद्दा कर अधिकारियों का निष्कर्षणवादी दृष्टिकोण है और यही सच्चाई है. इसके अलावा, मेडिकल बीमा पर जीएसटी कम करना एक आसान काम है जो एक दिन में किया जा सकता है, फिर भी वे चक्कर लगाते रहते हैं और अनावश्यक परेशानी पैदा करते हैं. बहुत निराशा जनक बात है ,क्योंकि पिछले 10 से 12 सालों से मध्यम वर्ग इन सभी करों का बोझ उठा रहा है. ”
मोहनदास पई के साक्षात्कार के मुख्य अंश
आयकर स्लैब की जटिलता:मोहनदास पई ने टैक्स स्लैब की बढ़ती जटिलता की आलोचना की. उन्होंने बताया कि किस तरह टैक्स स्लैब की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिससे कर प्रणाली अधिक भ्रामक और समझने में कठिन हो गई है.
कर का बोझ कम करना: मध्यम वर्ग के लिए कर की दरें कम करना तथा अत्यधिक कराधान से राहत प्रदान करना.
“पॉपकॉर्न टैक्स” सादृश्य: पैई ने “पॉपकॉर्न टैक्स” का उदाहरण देते हुए बताया कि सरकार तुच्छ मामलों पर ध्यान केंद्रित करती है, जबकि अधिक महत्वपूर्ण चिंताओं को नजरअंदाज करती है.
“कर आतंकवाद”: पई ने आरोप लगाया कि कर अधिकारी “कर आतंकवाद” में लिप्त हैं.
बढ़ती हुई ईएमआई: उच्च ब्याज दरों के कारण ऋण की चुकौती बढ़ जाती है, जिससे प्रयोज्य आय पर दबाव पड़ता है.