भारत व्यापार घाटे को कम करने में और एमएसएमई के लिए ऋण को आसान बनाने और यूरोपीय संघ की व्यापार नीतियों को आगे बढ़ाने के लिए एक नए मिशन के साथ अपने निर्यात फोकस को तेज कर रहा है. केंद्रीय बजट 2025 में प्रस्तावित एक एकीकृत व्यापार मंच और रणनीतिक रोडमैप का उद्देश्य वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी शनिवार को बजट सत्र पेश करते समय निर्यात संवर्धन मिशन का अनावरण किया, जिसका नेतृत्व वाणिज्य, वित्त और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय करेंगे, ताकि निर्यात को आर्थिक विकास के प्रमुख चालक के रूप में स्थापित किया जा सके.
बजट 2025 – 26 के घोषणाओं का हिस्सा, इस पहल का उद्देश्य भारत के व्यापार घाटे को कम करना है,जो नवंबर 2024 में रिकॉर्ड 32.8 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया था. इस बोजना के हिस्से के रूप में वित्त मंत्रालय निर्यातकों के लिए ऋण पहुंच को सुव्यवस्थित करेगा, जिससे वैश्विक बाजारों की तलाश करने वाले व्यवसायों के लिए एक बड़ी बाधा दूर हो जाएगी.
इस से पहले बताया गया की , भारत सरकार एमएसएमई को निर्यात वित्तपोषण के साथ समर्थन देने के लिए एक मॉडल पर काम कर रही है,जिससे उन्हें आयात करने वाले देशों द्वारा भुगतान में चूक से बचाने में मदद मिलेगी.और इसके विरुद्ध यूरोपीय संघ (ईयू) भारतीय एमएसएमई को अपने कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (सीबीएएम), कॉरपोरेट सस्टेनेबिलिटी ड्यू डिलिजेंस डायरेक्टिव (सीएस3डी) और अन्य विनियामक ढांचे के अनुपालन में सहायता करने के लिए परियोजनाओं पर सहयोग कर रहा है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने व्यापार दस्तावेजीकरण के लिए एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म भारत ट्रेड नेट के निर्माण की भी घोषणा की, जिसका उद्देश्य निर्यात प्रक्रियाओं को सरल बनाना है.
शुक्रवार को जारी की गए आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में कमजोर वैश्विक मांग के बीच माल निर्यात वृद्धि में सुस्ती पर चिंता जताई गई है. और मजबूत घरेलू खपत ने आयत को बढ़ावा दिया है. उच्च शुद्ध सेवा प्राप्तियों और मजबूत प्रेषण ने बढ़ते व्यापार घाटे की आंशिक रूप से भरपाई की है.
वैश्विक व्यापार संरक्षणवाद की ओर बढ़ रहा है, इसीलिए सर्वेक्षण में व्यापार लागत कम करने, सुविधा में सुधार करने और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक नए रणनीतिक व्यापार रोडमैप की मांग की गई है. इसने यह भी चेतावनी दी कि पर्यावरण सुरक्षा के रूप में तैयार किए गए यूरोपीय संघ के सीबीएएम से भारतीय निर्यात पर महत्वपूर्ण जोखिम हो सकता है, जिससे चालू खाता घाटा बढ़ सकता है.
वाणिजय मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार ,दिसंबर महीने में भारत का व्यापारिक व्यापार घाटा तीन महीने के निचले स्तर 21.94 बिलियन डॉलर पर आ गया, जिसे निर्यात में वृद्धि का समर्थन प्राप्त हुआ. अप्रैल-दिसंबर 2024 के लिए व्यापारिक निर्यात 321.71 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया, जो 2023 की इसी अवधि से 1.6% ज्यादा है. दिसंबर 2024 तक निर्यात पहले ही 600 बिलियन डॉलर को पार कर चुका है, वाणिज्य मंत्रालय वित्तीय वर्ष के लिए अपने 800 बिलियन डॉलर के निर्यात लक्ष्य को पूरा करने के प्रति आशावादी है.