डोनाल्ड ट्रम्प के शपथ ग्रहण से पहले अमेरिकी डॉलर में गिरावट और भारतीय रूपये में तेजी

Hetal Chudasma

डॉलर सूचकांक, जो छह मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की ताकत को मापता है, 0.30% की गिरावट के साथ 109.02 पर कारोबार कर रहा था.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की शपथ ग्रहण के पहले ही सोमवार को एशियाई मुद्राओ के मुकाबले अमेरिकी डॉलर में गिरावट देखि गई है. अमेरिकी डॉलर की व्यापक कमजोरी को लेकर भारतीय रूपया भी अमेरिकी डॉलर  के  मुकाबले मजबूत हो गया है.

डॉलर इंडेक्स, जो छह मुद्राओं के बास्केट के मुकाबले डॉलर की ताकत को मापता है, 0.30% की गिरावट के साथ 109.02 पर कारोबार कर रहा था,इसी दौरान घरेलु शेयर बाजार और एशियाई मुद्राओ में सकारत्मक रुख के साथ भारतीय रूपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 14 पैसे बढ़कर 86 . 46 पर पहोच गए.

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 86.48 पर खुला था और डॉलर के मुकाबले 86.46 पर पहुंच गया, जो अपने पिछले बंद से 14 पैसे की बढ़त दीखाता है. शुक्रवार के दिन भारतीय रूपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 86.60 पर बंद हुआ था. एशियाई मुद्राएं अधिकतर ऊंची रहीं, जिनमें कोरियाई वॉन और चीनी युआन में सबसे अधिक बढ़त रही.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के शपथ ग्रहण समारोह  के बाद व्हाइट हाउस लौटने के साथ मुद्रा बाजारों से पूरे सप्ताह वाशिंगटन से नीति घोषणाओं पर बारीकी से नज़र रखने की उम्मीद है. ट्रम्प ने अपने राष्ट्रपति के पदभार  ग्रहण करने के पहले दिन कई कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर करने की प्रतिबद्धता जताई है.

सीआर फॉरेक्स के प्रबंध निदेशक, एमडी अमित पबारी ने कहा की “ट्रम्प की नीतियों से DXY में नई अस्थिरता आने की संभावना है उनका ‘अमेरिका फर्स्ट’ व्यापार एजेंडा और संभावित भू-राजनीतिक तनाव जोखिम से बचने की प्रवृत्ति को बढ़ावा दे सकता है, जिससे अल्पावधि में डॉलर में उछाल आने की संभावना है. और वही दूसरी और अलगाववादी नीतियों और उनके वैश्विक आर्थिक प्रभावों के बारे में बाजार की चिंताएं लाभ को कम कर सकती हैं,”

जैसे-जैसे बाजार ट्रम्प के उद्घाटन भाषण और नीति संकेतों को पचा रहे हैं,एमडी अमित पबारी का मानना ​​है कि DXY में महत्वपूर्ण बदलाव होने वाला है. उन्हें यकीन है की  डॉलर इंडेक्स ऊपर की तरफ 110.50 और नीचे की तरफ 108.50 के दायरे में कारोबार करेगा . इस से दोनों तरफ से किसी भी तरह का  उल्लंघन महत्वपूर्ण गति को ट्रिगर करेगा .

रुपया आउटलुक

घरेलु मार्च पर  भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 10 जनवरी को समाप्त सप्ताह में 8.714 अरब डॉलर घटकर 625.871 अरब डॉलर रह गया, जो रुपये को अत्यधिक अवमूल्यन से बचाने के लिए आरबीआई के प्रयासों को दर्शाता है. अमित पबारी ने कहा की  हालांकि, आरबीआई ने ₹ 2.22 ट्रिलियन बैंकिंग सिस्टम घाटे के बीच रोकड़  को कम करने के लिए दैनिक परिवर्तनीय दर रेपो नीलामी के लिए प्रतिबद्धता जताई है , जिसके कारण रूपये पर फालतू का दबाव पैदा हुआ है.  6.4 बिलियन डॉलर की राशि के एफआईआई बहिर्वाह से स्थिति और जटिल हो गई है, जिससे रोकड़ का घाटा बढ़ गया है. फिर भी, पंजाब और सिंध बैंक द्वारा क्यूआईपी के माध्यम से  2,000 करोड़ जुटाने की आगामी योजना रुपये के लिए राहत की एक किरण प्रदान करती है, जो संभावित रूप से स्थिति को स्थिर कर सकती है.

इन विपरीत दबावों को देखते हुए, उनका मानना ​​है कि बाजार के समायोजन के दौरान अल्पकालिक अस्थिरता अनिवार्य है. सीआर फॉरेक्स के प्रबंध निदेशक, एमडी अमित पबारी के अनुसार “वैश्विक और घरेलू आर्थिक परिदृश्य में प्रमुख घटनाओं से पहले रुपया 86.20 से 86.80 के अस्थिर दायरे में कारोबार करने की उम्मीद है.”

इसी दौरान घरेलू शेयर बाजारों में तेजी से स्थानीय मुद्रा को समर्थन मिला .और भारतीय शेयर बाजार के बेंचमार्क सूचकांक,सेंसेक्स और निफ्टी 50 में 0.7% की बढ़त दर्ज की गई.

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