भारतीय रुपया बनाम अमेरिकी डॉलर: रुपया लगातार दूसरे दिन चढ़ा, आरबीआई के हस्तक्षेप से दो सप्ताह के उच्चतम स्तर पर पहुंचा

Hetal Chudasma

केंद्रीय बैंक के हस्तक्षेप से भारतीय रुपया दो सप्ताह के उच्चतम स्तर 86.47 पर पहुंच गया.  एक्सपर्ट का सुझाव है कि इससे मंदी की स्थिति समाप्त हो सकती है.  रुपये में सुधार के बावजूद, पूर्वानुमानों का अनुमान है कि वैश्विक डॉलर की चाल और अमेरिकी मौद्रिक नीति के कारण यह 2025 के मध्य तक कमजोर होकर 88.8 पर आ सकता है.

12  फरवरी 2025 के बाजार में भारतीय रुपया बढ़कर लगभग दो सप्ताह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया और केंद्रीय बैंक के हस्तक्षेप से दो दिन की तेजी जारी रही, जिसके बारे में एक्सपर्ट का कहना है की ,इससे मुद्रा पर मंदी की स्थिति को समाप्त करने पर मजबूर होना पड़ा.

शरुआती कारोबार में रुपया मजबूत होकर 86.47 पर पहुंच गया, जो जनवरी के अंत के बाद से इसका सबसे मजबूत स्तर था, और देखे तो अंतिम बार यह 86.64 पर बंद हुआ, जो उस दिन लगभग 0.2% ज्यादा था.

मंगलवार को भारतीय मुद्रा में लगभग दो वर्षों में सबसे बड़ी एकल-दिवसीय बढ़त दर्ज की गई, जिसे भारतीय रिजर्व बैंक के महत्वपूर्ण हस्तक्षेप से बढ़ावा मिला.

डीबीएस बैंक ने अपने  एक नोट में कहा, “केंद्रीय बैंक के निर्णायक कदम से निकट भविष्य में रुपये में स्थिरता आने की संभावना है, तथा इसके बाद वैश्विक डॉलर की चाल से इसकी दिशा तय होगी.”

हाल के वर्तमान सप्ताहों में रिकॉर्ड निम्न स्तर की श्रृंखला के बाद रुपये में तेज सुधार ने इसकी 1 महीने की वास्तविक अस्थिरता को लगभग 4.4% तक पहुंचा दिया है, जो अप्रैल 2023 के बाद का उच्चतम स्तर है.

डीबीएस बैंक ने अनुमान लगाया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के व्यापार शुल्कों और फेडरल रिजर्व द्वारा वर्ष की दूसरी छमाही तक ब्याज दरों में कटौती में देरी के कारण डॉलर की सुरक्षित-आश्रय अपील का हवाला देते हुए, 2025 के मध्य तक रुपया कमजोर होकर 88.8 तक पहुंच जाएगा.  जेरोम पॉवेल  जो फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष है उन्होंने मंगलवार को कहा कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में और कटौती करने की जल्दी में नहीं है.

बुधवार 12 जनवरी  को अमेरिकी दर वायदा बाजार ने इस वर्ष लगभग 35 आधार अंकों (बीपीएस) की ढील, या 25 बीपीएस की एक दर कटौती का मूल्यांकन किया है,उसमे देखे तो पहली दर कटौती अब जुलाई या सितंबर में देखी जा रही है. जो आज बाद में जारी किए जाएंगे. रॉयटर्स द्वारा सर्वेक्षण किए गए अर्थशास्त्रियों ने पूर्वानुमान लगाया है कि आंकड़ों से पता चलेगा कि जनवरी में मुख्य उपभोक्ता कीमतों में महीने-दर-महीने 0.3% की वृद्धि हुई है, जबकि पिछले महीने इसमें 0.2% की वृद्धि हुई थी.

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