पॉडकास्ट के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी जीने चिंता के बारे में खुलकर बात की ,अपने बचपन और राजनितिक अनुभवों को याद किया. और उन्होंने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भावनाओं को नियंत्रित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, गोधरा की घटना और चंद्रयान 2 मिशन की कठिनाइयों का हवाला दिया.
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदीजी ने ज़ेरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामथ के साथ पहली पॉडकास्ट में कई विषयों पर बात की, जिस में कई बातो की चिंता भी जताई थी. और उन्होंने कहा कि जिस पद पर वह थे, उसे देखते हुए उन्हें अक्सर अपनी भावनाओं को दूर रखना पड़ता था और इस बात पर उन्होंने कुछ उदाहरण भी दिए.
मोदी ने यह टिप्पणी तब की जब निखिल कामथ ने प्रधानमंत्री से पूछा कि उन्होंने इस मुद्दे से कैसे निपटा, और इस बात पर प्रकाश डाला कि कई बच्चे भी कह रहे हैं कि उन्हें चिंता होती है.
कामथ ने पीएम मोदी से कहा, “मुझे भी चिंता होती है. मैं आपसे बात कर रहा हूं, लेकिन मैं नर्वस और बेचैन हूं. मुझे नहीं पता कि अगर मैं कुछ कहूंगा तो आपको कैसा लगेगा. यह एक कठिन बातचीत है. कई बच्चे चिंता के बारे में बात कर रहे हैं,” उन्होंने आगे कहा, “आपको भी अपने जीवन में यह हो सकता है. जब आप बच्चे थे तो आपने इससे कैसे निपटा?” प्रधानमंत्री ने कहा कि बचपन में उन्हें भी चिंता हुई होगी और कहा, “ऐसा नहीं है कि भगवान ने मेरे लिए दरवाजे बंद रखे होंगे. मुझे भी चिंता हुई होगी. हर कोई के पास स्थिति को संभालने की अलग-अलग क्षमताएं और शैली होती है”
और जब जब निखिल कामथ ने मोदी से पूछा कि क्या वह उनसे सीखना चाहते हैं कि उन्हें क्या करना चाहिए, तो मोदी ने कहा, “यह कहना कठिन है, लेकिन जिस पद पर मैं बैठा हूं, उसे देखते हुए मुझे भावनाओं को दूर रखना होगा.”
गुजरात चुनाव 2002
कामथ के सवाल का जवाब देते हुए मोदी ने कहा, “2002 में गुजरात में चुनाव थे. और ये मेरे जीवन की सबसे बड़ी परीक्षा थी. तब मैंने लोगों से कहा कि वे मुझे दोपहर 12 बजे तक कोई भी विवरण न दें फिर हमारे ऑपरेटर ने एक नोट भेजा जिसमें लिखा था कि मैं दो तिहाई से आगे चल रहा हूं. मुझे नहीं लगता कि मेरे शरीर के अंदर)कुछ हो रहा था, लेकिन, मेरे मन में इसे काबू में करने का विचार था. ” आप कह सकते हैं कि मेरे अंदर बेचैनी या चिंता थी.
गोधरा कांड
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा, “मैं अपने जीवन में पहली बार 24 फरवरी 2002 को विधायक बना. 27 फरवरी 2002 के दिन में विधानसभा के अंदर गया. मैं सिर्फ 3 दिन के लिए विधायक था और दिन में गोधरा से आग लगने की खबर आने लगी और जल्द ही मैंने गोधरा जाने का फैसला किया” “हम बड़ौदा गए और गोधरा जाना चाहते थे, लेकिन वहां कोई हेलीकॉप्टर उपलब्ध नहीं था. अंत में, ONGC का एक हेलीकॉप्टर आया, जो सिंगल इंजन वाला हेलीकॉप्टर था. उन्होंने कहा कि वे इसमें किसी वीआईपी को नहीं ले जा सकते. फिर मैंने उनसे कहा कि मैं वीआईपी नहीं हूं, और मैं जाऊंगा. बाद में मैं आगे बढ़ गया. वहां का दर्दनाक दृश्य, लाशें…आप कल्पना कर सकते हैं. मैं भी इंसान हूं, मेरे साथ सब कुछ हुआ है. लेकिन मैं एक स्थिति में बैठा था. जहा मुझे पता था कि मुझे अपनी भावनाओं, स्वाभाविक मानवीय प्रवृत्तियों से दूर रहना है. ”
चन्द्रयान 2 पर
चंद्रयान 2 की असफलता के बारे में बोलते हुए मोदी ने बताया कि चंद्रयान 2 मिशन के दौरान क्या हुआ था, चंद्रयान 2 की लॉन्चिंग के समय कई लोगों ने मुझसे कहा कि मुझे नहीं जाना चाहिए, क्योंकि यह अनिश्चित है. बस कुछ आखिरी सेकंड में कुछ हुआ. किसी में हिम्मत नहीं थी कि वो आके मुझे बता सके कि क्या हो रहा है. मैं टीवी पर देख रहा था. फिर एक सीनियर व्यक्ति ने आकर मुझे बताया कि क्या हुआ. उसके बाद मैंने उनसे कहा कि चिंता मत करो. और में वहा से मैं वापस गेस्टहाउस गया, लेकिन मुझे नींद नहीं आई. फिर मैंने कहा कि मैं वापस (दिल्ली) जाने से पहले टीम से मिलना चाहता हूं. यह देश के लिए एक बहोत बड़ा झटका था. मैं ऐसा व्यक्ति नहीं हूं जो असफलता पर रोते हुए अपना जीवन बिता दूं. मैंने सभी वैज्ञानिकों से कहा कि अगर कोई विफलता होती है, तो यह मेरी जिम्मेदारी है . आप सब दुखी मत होइए, आपने प्रयास किया, और मैंने उनका मनोबल बढ़ाने की कोशिश की, और चंद्रयान 3 सफल हुआ.