रेलवे परियोजना : कैबिनेट ने ₹18,658 करोड़ की रेल परियोजनाओं और सीमावर्ती गांवों के लिए ₹6,839 करोड़ की मंजूरी दी

Hetal Chudasma

चार रेलवे परियोजनाओं से भारत का रेल नेटवर्क 1,247 किलोमीटर तक विस्तारित हो जाएगा, जिससे 3,350 गांवों और 4.7 मिलियन लोगों के लिए संपर्क में सुधार होगा. सीमावर्ती गांव योजना अरुणाचल प्रदेश, असम, गुजरात, जम्मू-कश्मीर और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में रणनीतिक स्थानों पर केंद्रित होगी .

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 18,658 करोड़ रुपये की लागत वाली चार रेलवे परियोजनाओं और पाकिस्तान और चीन से लगती भारत की सीमाओं पर स्थित गांवों के विकास के लिए 6,839 करोड़ रुपये की लागत वाली अन्य परियोजनाओं को मंजूरी दी है.

4 अप्रैल  शुक्रवार को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा अनुमोदित रेलवे परियोजनाओं से महाराष्ट्र, ओडिशा और छत्तीसगढ़ के 15 जिलों में भारतीय रेलवे का नेटवर्क 1,247 किलोमीटर तक विस्तारित हो जाएगा.

रेलवे की इन परियोजनाओं के पूरा होने से लगभग 3,350 गांवों और 4.7 मिलियन लोगों के लिए संपर्क में सुधार होगा, इसके अलावा बलौदा बाजार जैसे क्षेत्रों के लिए सीधा संपर्क उपलब्ध होगा, जो छत्तीसगढ़ का एक जिला है और सीमेंट संयंत्रों के लिए जाना जाता है.

इन चार परियोजनाओं के तहत संबलपुर-जरपदा और झारसुगुड़ा-सासन मार्गों के लिए तीसरी और चौथी लाइनों का निर्माण, खरसिया-नया और रायपुर-परमलकसा मार्गों के लिए पांचवीं और छठी लाइनों का निर्माण, और गोंदिया-बल्हारशाह मार्ग पर लाइनों का दोहरीकरण शामिल है.

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक बयान में कहा, “बढ़ी हुई लाइन क्षमता से गतिशीलता में सुधार होगा, जिससे भारतीय रेलवे के लिए बेहतर दक्षता और सेवा विश्वसनीयता प्राप्त होगी.” “इन मल्टी-ट्रैकिंग प्रस्तावों से परिचालन आसान होगा और भीड़भाड़ कम होगी, जिसकी वजह से भारतीय रेलवे के सबसे व्यस्ततम खंडों पर बहुत ज़रूरी बुनियादी ढाँचागत विकास होगा.”

‘समृद्ध और सुरक्षित सीमाएँ सुनिश्चित करना’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  6,839 करोड़ रुपये की लागत वाले वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम- II की अध्यक्षता  करेंगे और इसका पूर्ण वित्तपोषण केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा.

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अपने बयान में कहा, ” इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य समृद्ध और सुरक्षित सीमाओं को सुनिश्चित करने, सीमा पार अपराध को नियंत्रित करने और सीमा पर रहने वाली आबादी को राष्ट्र के साथ आत्मसात करने और उन्हें ‘सीमा सुरक्षा बलों की आंख और कान’ के रूप में विकसित करने के लिए बेहतर जीवन स्थितियां और पर्याप्त आजीविका के अवसर पैदा करना है, जो आंतरिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है.”

यह कार्यक्रम 2025-26 और 2028-29 के बीच अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, गुजरात, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के रणनीतिक गांवों पर ध्यान केंद्रित करेगा.

कैबिनेट ने कहा, “कार्यक्रम गांव या गांवों के समूह के भीतर बुनियादी ढांचे के विकास, मूल्य श्रृंखला विकास  सहकारिता, स्वयं सहायता समूहों आदि के माध्यम से, सीमा-विशिष्ट आउटरीच गतिविधि, स्मार्ट कक्षाओं जैसी शिक्षा बुनियादी ढांचे, पर्यटन सर्किटों के विकास और सीमावर्ती क्षेत्रों में विविध और टिकाऊ आजीविका के अवसर पैदा करने के लिए कार्यों/परियोजनाओं के लिए धन उपलब्ध कराएगा.”

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति इन परियोजनाओं के प्रबंधन की निगरानी और देखरेख करेगी.

उन्होंने मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा, “उच्च स्तरीय समिति, जिसे कैबिनेट द्वारा अधिकार दिया गया है, परियोजनाओं के लिए आवश्यक मानदंडों में किसी भी छूट पर निर्णय लेगी.”

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