भारतीय रुपया आज अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 12 पैसे बढ़कर 86 . 81 पर बंद हुआ.
वैश्विक बाजार में शुक्रवार 14 फरवरी के दिन अमेरिकी मुद्रा में नरमी के बीच भारतीय रुपया 12 पैसे बढ़कर 86.81 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ.
हालांकि, विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि कच्चे तेल की ऊंची कीमतों और विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा घरेलू इक्विटी की लगातार बिकवाली ने स्थानीय मुद्रा में तीव्र बढ़त को रोक दिया.
उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिकी सरकार द्वारा 1 अप्रैल को पारस्परिक टैरिफ लागू करने की घोषणा के बाद डॉलर की आक्रामक दौड़ रुक गई है, और इसकी वजह से उसके व्यापारिक साझेदारों को कुछ राहत मिली है.
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में आज शुक्रवार को रुपया 86.86 पर खुला और इंट्राडे के दौरान डॉलर के मुकाबले 86.79 के उच्चतम स्तर को छू गया. पुरे दिन के कारोबार के अंत में रुपया 86.90 के निम्नतम स्तर को भी छू गया और अंत में डॉलर के मुकाबले 86.81 पर बंद हुआ, लेकिन वो अपने पिछले बंद भाव से 12 पैसे की बढ़त दर्शाता है.
गुरुवार 13 फरवरी को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 2 पैसे की मामूली बढ़त के साथ 86.93 पर लगभग स्थिर बंद हुआ था,जब की बुधवार को रुपया 16 पैसे की गिरावट के साथ बंद हुआ था, जबकि एक दिन पहले इसमें 66 पैसे की बढ़त दर्ज की गई थी, जो करीब दो साल में एक दिन की सबसे बड़ी बढ़त थी.
मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी का कहना है की , कमजोर अमेरिकी डॉलर सूचकांक के कारण रुपये में तेजी आई है. उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पारस्परिक टैरिफ के कार्यान्वयन को 1 अप्रैल तक के लिए टाल दिया, जिसकी वजह से अमेरिकी डॉलर में गिरावट आयी और बाजार की चिंताएं शांत हो गईं.
“एफआईआई द्वारा लगातार निकासी से रुपये पर और दबाव पड़ सकता है,अनुज चौधरी ने कहा कि व्यापारी अमेरिका से खुदरा बिक्री और औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों से संकेत ले सकते हैं. उन्होंने कहा कि “यूएसडी-आईएनआर हाजिर मूल्य 86.60 से 87.10 के बीच रहने की उम्मीद है.”
पिछले कुछ महीनों से घरेलू मुद्रा को वैश्विक व्यापक आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण अत्यधिक अस्थिरता का सामना करना पड़ रहा है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि वैश्विक वृहद अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता के कारण अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के साथ-साथ अन्य एशियाई मुद्राओं में भी गिरावट आई है.
निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में केंद्रीय बजट 2025-26 पर चर्चा के जवाब में कहा, “2024 की चौथी तिमाही में निश्चित रूप से भारत ही नहीं, बल्कि प्रमुख देशों में व्यापक मुद्रा-संबंधी अस्थिरता देखी जाएगी. वैश्विक वृहद अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता के कारण अन्य एशियाई मुद्राओं की तरह भारतीय रुपये में भी अमेरिकी डॉलर के मुकाबले गिरावट आई है.” उनका कहना है ,की 21 अक्टूबर 2024 से 27 जनवरी 2025 के दौरान अमेरिकी डॉलर सूचकांक बढ़कर 6.5 प्रतिशत हो जाएगा.
14 जनवरी शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर सूचकांक, जो छह मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की ताकत को मापता है, 0.39 प्रतिशत की गिरावट के साथ 106.79 पर कारोबार कर रहा था.
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा कारोबार में 0.35 प्रतिशत बढ़कर 75.28 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया.
घरेलू शेयर बाजार में देखे तो 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 199.76 अंक यानी 0.26 प्रतिशत गिरकर 75,939.21 अंक पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 102.15 अंक यानी 0.44 प्रतिशत गिरकर 22,929.25 अंक पर आ गया. एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने गुरुवार को शुद्ध आधार पर 2,789.91 करोड़ रुपये मूल्य की इक्विटी बेची है.