ट्रम्प टैरिफ : विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि ट्रम्प के टैरिफ से भारत के इन निर्यात क्षेत्रों पर गंभीर असर पड़ सकता है

Hetal Chudasma

विशेषज्ञ ने अमेरिकी व्यापार नीति में बदलाव को ‘अमेरिका फर्स्ट’ से ‘अमेरिका अलोन’ की ओर बढ़ना बताया.

वैश्विक व्यापार में एक ऐतिहासिक क्षण में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 2 अप्रैल बुधवार को भारत सहित अपने व्यापारिक साझेदारों पर टैरिफ लगा दिया, जिसके तहत 29 अप्रैल से 26% “रियायती पारस्परिक टैरिफ” लागू होंगे.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, ” भारत हमसे 52% शुल्क वसूल रहे हैं, जबकि हम वर्षों और दशकों से लगभग कुछ भी शुल्क नहीं वसूल रहे हैं.” उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका मोटरसाइकिलों पर 2.4% शुल्क लगाता है, जबकि भारत 70% शुल्क लगाता है.और उन्होंने कहा कि भारत ऑटोमोबाइल पर 70% शुल्क लगाता है.

ट्रंप की इस घोषणा के बाद इस भारत को कपड़ा, इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, रत्न जैसे प्रमुख क्षेत्रों में जोखिम पैदा हो गया है.

‘शुल्क बढ़ा-चढ़ाकर की गई गणना पर आधारित’

भारत के बैंकिंग और अंतरराष्ट्रीय स्टॉक विशेषज्ञ अजय बग्गा ने अमेरिकी व्यापार नीति में बदलाव को “अमेरिका फर्स्ट” से “अमेरिका अलोन” की ओर बढ़ना बताते हुए, एएनआई को बताया कि ये टैरिफ फुलाए गए गणना के मुताबिक हैं, जिसमें वास्तविक सीमा शुल्क, कथित मुद्रा हेरफेर और GST  शामिल हैं.

बग्गा ने कहा, “भारतीय घरेलू क्षेत्र प्रथम-स्तरीय प्रभावों से सुरक्षित हैं, लेकिन ट्रंप के टैरिफ से भारतीय कपड़ा, इंजीनियरिंग सामान, इलेक्ट्रॉनिक्स और रत्न एवं आभूषण निर्यातक तत्काल प्रभावित होते हैं. आज सुबह के बाजार में तेल के साथ-साथ धातुओं में भी बिकवाली देखी गई. फार्मा प्रमुख कंपनियां प्रतीक्षा और निगरानी मोड में हैं क्योंकि इन पर क्षेत्रीय टैरिफ लगाए जाएंगे.”

ट्रंप की घोषणा के बाद भारत के घरेलू क्षेत्रों पर इसका असर नहीं पड़ेगा. लेकिन भारत की निर्यातकों को बढ़ी हुई लागत का सामना करना पड़ सकता है. अचानक टैरिफ लगाए जाने से भारत की अर्थव्यवस्था पर कई तरह से असर पड़ने की संभावना है. बग्गा ने कहा कि उच्च शुल्कों के कारण भारतीय निर्यात में गिरावट आ सकती है, और इसकी वजह से निर्यातकों के मार्जिन में कमी आ सकती है. उन्होंने कहा, “अनिश्चितता अब आर्थिक और बाजार दर्द की निश्चितता में बदल गई है. और इसकी पहली प्रतिक्रिया सुरक्षित ठिकानों की ओर भागना और जोखिम वाली संपत्तियों को बेचना है.”

रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद के मुताबिक, भारत ने वित्त वर्ष 2023-2024 (FY24) में दुनिया भर में कुल 32.8 बिलियन डॉलर मूल्य के रत्न एवं आभूषण निर्यात किए. जिसमे से लगभग 30% यानि  9.84 बिलियन डॉलर के बराबर रत्न एवं आभूषण संयुक्त राज्य अमेरिका को भेजा गया, और इसी वजह से अमेरिका भारत के रत्न एवं आभूषण निर्यात का सबसे बड़ा गंतव्य बन गया.

फाइनेंशियल एक्सप्रेस ने कामा ज्वैलरी के एमडी कॉलिन शाह के हवाले से कहा, “संभावित चुनौतियों का समाधान करने के लिए उद्योग-व्यापी सहयोग महत्वपूर्ण है. डिजाइन नवाचार, परिचालन दक्षता और सरकारी सहभागिता को मजबूत करना, बदलती व्यापार नीतियों के बावजूद विकास को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण होगा.” उन्होंने कहा कि अमेरिका रत्न एवं आभूषण क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार है.

इस बीच, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत 23 बिलियन डॉलर के अमेरिकी आयात पर टैरिफ में कटौती करने पर विचार कर रहा है, ीे टैरिफ में रत्न, आभूषण, फार्मास्यूटिकल्स और ऑटो पार्ट्स शामिल हैं, ताकि प्रभाव को कम किया जा सके. हालाँकि, अभी तक कोई सौदा अंतिम रूप नहीं ले पाया है.

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